Indistractable: How to Control Your Attention and Choose Your Life Hindi Summary
By- Nir Eyal
---------- ABOUT BOOK ----------
क्या आपको भी अपने काम पर फोकस करने में परेशानी होती है? क्या आप काम के बीच बार-बार सोशल मिडिया , ई-मेल या app की वजह से डिस्ट्रैक्ट होते रहते है ? क्या आप अपनी पर्सनल और वर्क लाइफ के बीच एक बेलेंस बनाकर रखना चाहते हो? अगर इन सारे सवालों के जवाब हाँ है तो ये समरी सिर्फ आपके लिए है. ये आपको पहले से ज्यादा प्रोडक्टिव बनने और अपने स्मार्टफोन यूज़ को कण्ट्रोल में रखने में मदद करेगी ताकि आप काम करते वक्त डिस्ट्रैक्ट होने से बचे रहे. यानी अब आप भी इंडिस्ट्रैक्टेबल हो सकते है. कैसे? इसका सीक्रेट इस समरी में है.ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए ?
- कॉलेज स्टूडेंट- एम्प्लोईज़
- मैनेजर
- एंटप्रेन्योर
- प्रोफेशनल लोगों को
ऑथर के बारे में
नीर एयाल एक बेस्ट सेलिंग ऑथर, कंसलटेंट और लेक्चरर हैं. वो साईंकोलोज़ी, बिजनेस और टेक्नोलजी के फ़ील्ड में एक एक्सपर्ट माने जाते हैं. नीर पहले Stanford Graduate School of Business और Hasso Plattner Institute of Design में लेक्चरर रह चुके हैं. उनके अनगिनत आर्टिकल न्यू यॉर्क टाइम्स, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यु और कई पब्लिकेशन में भी छप चुके हैं.
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---------- SUMMARY ----------
इंट्रोडक्शन
इंडिस्ट्रैक्टेबल का मतलब होता है उस काम पर पूरा फोकस रखना जो आपके हाथ में है. जो लोग इंडिस्ट्रैक्टेबल होते है अपने टाइम और अटेंशन पर कण्ट्रोल रखते है. ऐसे लोग अपना काम करते वक्त किसी भी चीज़ से डिस्ट्रैक्ट नहीं होते यानी उनका मन नहीं भटकता.सबसे पहले तो आपको इस इंडिस्ट्रैक्टेबल मॉडल को समझना होगा. अपने सामने एक क्रोस इमेजिन करो या दो परपेंडीक्यूलर लाइन्स सोचो. अब हम देख सकते है कि इस क्रोस में चार पॉइंट्स है जो एक कंपास की तरह लगते है. इसके ऊपर के पार्ट में इंटरनल ट्रिगर्स है. इसके राईट पार्ट में ट्रैक्शन है. नीचे के पार्ट में एक्सटर्नल ट्रिगर्स है और इसके लेफ्ट पार्ट में डिसट्रेक्शन है.
तो चलिए, ट्रैक्शन और डिसट्रैक्शन से शुरू करते है. ये जो वर्ड है ट्रैक्शन वो लैटिन के” ट्राहेरे” से बना है जिसका मतलब है” कोई चीज़ ड्रा करना या खींचना”. ट्रैक्शन वो बिहेवियर है जो हमे हमारे लाइफ गोल्स की तरफ खींचता है.
वही दूसरी तरफ डिसट्रैक्शन भी लैटिन वर्ड से आया है जिसका मतलब होता है” ड्राईंग अवे ऑफ़ द माइंड”. डिसट्रैक्शन हमे अपने गोल्स की तरफ बढ़ने से रोकता है.
अब बिहेवियर चाहे वो ट्रैक्शन हो या डिसट्रैक्शन दोनों ही ट्रिगर्स से ही ड्राइव होते है. और ट्रिगर्स दो टाइप के होते है इंटरनल और एक्सटरनल.
इंटरनल ट्रिगर्स हमारे अंदर से ही निकलते है. ये हमारे ईमोशंस हो सकते है जैसे कि जब हम बोर होते है, अकेलापन फील कर रहे होते है, या फिर स्ट्रेस में होते है. एक्सटरनल ट्रिगर्स रिंग्स या पिंग्स, फोन कॉल्स, ई-मेल्स या वो नोटीफिकेशन हो सकते है जो हमारे स्मार्ट फोन में आते रहते है.
इस समरी में आप सीखोगे कि अपने इंटरनल ट्रिगर्स को कैसे कण्ट्रोल करना है, कैसे ट्रैक्शन के लिए टाइम निकाले, कैसे एक्सटरनल ट्रिगर्स को कण्ट्रोल या हैक बैक किया जाए और कैसे डिसट्रैक्शन को अवॉयड किया जाए.
इंडिसट्रैक्टेबल मॉडल के चार पार्ट्स होते है. अगर आप इस समरी में दिए गए प्रिंसिपल्स फोलो करोगे तो इंडिस्ट्रैक्टेबल हो सकते हो. आपको ज्यादा हेल्दी और बैटर बनने में हेल्प मिलेगी, आपके रिलेशनशिप्स स्ट्रोंग होंगे और अपने काम में भी सक्सेसफुल रहेंगे.
तो आइए, इस बारे में और ज्यादा जानने के लिए तीनो चैप्टर्स को पढ़ते है.
Master Internal Triggers
ज़ोई चांस येल स्कूल ऑफ़ मैनेजमेट में एक प्रोफेसर है. अपने टेड टॉक में उन्होंने अपनी लाइफ की एक स्टोरी शेयर की थी जो उनके स्ट्रिव स्मार्ट पेडोमीटर के एडिक्शन को लेकर थी. इस डिवाइस की कुछ इस तरह से मार्केटिंग की गई थी” योर पर्सनल ट्रेनर इन योर पॉकेट” यानी आपका पर्सनल ट्रेनर आपकी जेब में, जब चाहे, जहाँ चाहे. लेकिन ज़ोई अपने पर्सनल एक्सपीरिएंस के बेस पर कहती है” स्ट्रिव पेडोमीटर आपकी जेब में रखा पर्सनल ट्रेनर नहीं बल्कि एक शैतान है”स्ट्रिव दरअसल सिलिकॉन वैली का एक स्टार्ट-अप है. इसे वीडियो गेम डिज़ाइनर्स ने बनाया है, क्योंकि सिर्फ उन्हें ही ये बखूबी मालूम होता है कि कैसे यूजर्स के माइंड को हैक करना है. स्ट्रिव में आपको वाकिंग के पॉइंट्स मिलते है और इसमें चैलेंजेस भी है जिसके बदले आपको रीवार्ड्स मिलते है. यूजर्स बाकि प्लेयर्स के साथ कॉम्पीट भी कर सकते है और लीडरबोर्ड्स के हिसाब से रैंकिंग भी होती है.
ज़ोई बहुत जल्दी अपने इस पेडोमीटर की एडिक्ट बन गई. वो हर वक्त बस चलती रहती थी, खाते हुए, समरी पढ़ते हुए या अपने हजबैंड से बात करते वक्त भी. वो पूरे घर के चक्कर काटा करती, लिविंग रूम से लेकर किचन और डाईनिंग रूम तक और वापस दोबारा फिर से लीविंग रूम. ये सब वो ज्यादा स्टेप्स लेने के लिए करती थी ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा पॉइंट्स मिल सके.
ज़ोई इतना वॉक करने लगी थी कि उसे फेमिली और फ्रेंड्स के साथ बैठकर टाइम स्पेंड करने का भी मौका नहीं मिलता था. वो एक मिनट भी बैठना पसंद नहीं करती थी. उसकी बातचीत सिर्फ एक इंसान के साथ होती थी, जो उसका कलीग था अर्नेस्ट क्योंकि वो भी उसकी तरह ही स्ट्रिव पेडोमीटर यूज़ करता था. अर्नेस्ट और ज़ोई हमेशा एक दूसरे को चैलेंजेस देते रहते और एक दूसरे से मुकाबला करते थे कि कौन ज्यादा स्टेप्स चलता है.
फिर एक पॉइंट ऐसा भी आया कि ज़ोई ने एक दिन में 24,000 स्टेप्स लिए. फिर एक रात की बात है, ज़ोई सोने की तैयारी कर रही थी. वो अभी ब्रश कर ही रही थी कि उसके स्ट्रिव एप में एक टेम्प्टिंग ऑफर का नोटिफ़िकेशन आया. ये एक पॉप अप चैलेंज था जिसके लिखा था” अगर आपने अभी 20 स्टेयर्स चढ़े तो हम आपको ट्रिपल पॉइंट्स देंगे !” ज़ोई ने सोचा अगर वो अभी बेसमेंट की सीढियों पर दो बार अप-डाउन करेगी तो वो ये चैलेन्ज जीत सकती है. ज़ोई ने चैलेंज पूरा किया और रिवॉर्ड जीत गई. लेकिन तभी एक और चैलेंज पॉप-अप हुआ. ट्रिपल पॉइंट्स का एक और ऑफर था, इस टाइम 40 स्टेप्स चलने थे. ज़ोई ने तुरंत ये चैलेन्ज भी पूरा कर लिया.
ज़ोई अपने पेडोमीटर के साथ इतनी हूक्ड-अप हो गई थी कि उसे पता भी नहीं चला कि वो दो घंटे से चले जा रही है और सुबह के दो बज चुके है. एक के बाद एक चैलेन्ज चलते रहे जब तक कि उसके पेडोमीटर ने 1872 स्टेप्स नहीं दिखा दिए. ऐसा लग रहा था जैसे पेडोमीटर ने ज़ोई के शरीर पर कब्जा कर रखा है क्योंकि वो बस सीढियों पर नॉन स्टॉप अप-डाउन किए जा रही थी.
लेकिन ज़ोई के इस जुनून की असली वजह क्या थी? पहले बात तो ये कि उसने स्ट्रिव पेडोमीटर खरीदा ही क्यों था और क्यों अब वो इतनी डिसट्रैक्ट हो गई थी? आखिर उसके इस डिसट्रैक्शन की वजह क्या थी?
नीर से ईमेल के ज़रिए हुई बातचीत में ज़ोई ने ये माना कि उस वक्त वो अपनी लाइफ के एक स्ट्रेसफुल दौर से गुजर रही थी. वो एक मार्केटिग प्रोफेसर की पोजीशन के लिए अप्लाई कर रही थी और क्योंकि उसके हजबैंड भी एक मार्केटिंग प्रोफेसर है तो दोनों एक ही यूनीवरसिटी में नहीं पढ़ा सकते थे.
ज़ोई को लग रहा था जैसे कि वो एक स्ट्रेसफुल सिचुएशन में फंस चुकी है, एक तरफ उसके करियर का सवाल था तो दूसरी तरफ अपने पति के साथ रिलेशनशिप का टेंशन था. कई महीने वो इसी स्ट्रेस में रही, उसकी रातो की नींद उड़ गई थी, उसके बाल गिरते जा रहे थे, स्ट्रेस इतना ज्यादा बढ़ गया था कि ज़ोई हार्ट पल्पीटेशन की प्रॉब्लम भी होने लगी थी.
और तभी एक दिन ज़ोई ने स्ट्रिव पेडोमीटर लिया. उसने नीर एयाल को बताया कि एक डिवाइस उसके लिए एक स्ट्रेस रीलीवर की तरह था. ये पेडोमीटर उसके लिए अपनी प्रोब्लम्स से भागने का एक आसन जरिया बन गया था.
और आखिर में ज़ोई और उसके पति का तलाक हो गया, ज़ोई को येल यूनीवरसिटी में फुल टाइम पोजीशन मिल गई और स्ट्रिव पेडोमीटर से भी उसने छुटकारा पा लिया था.
चाहे सोशल मिडिया हो, ऑनलाइन गेम्स या ऑनलाइन शॉपिंग हो या बिज़ watching हो, ये सारे ऐसे डिसट्रैक्शन्स है जिन्हें हम रिएलिटी से बचने के लिए यूज़ करते है, यानी यूं कह ले कि जब हम अपनी लाइफ के रियल प्रॉब्लम को फेस करने से डरते है तो कोई ना कोई एडिक्शन पाल लेते है.
ये अनहेल्दी हैबिट्स रियल प्रॉब्लम नहीं है बल्कि वो इंटरनल ट्रिगर्स है जो हमे बोझ लगते है. तो अब टाइम आ गया है कि हम खुद के अंदर झाँक कर देखे. हम क्यों दुखी या परेशान है? क्यों हम उदासी फील करते है? क्यों हम जल्दी बोर हो जाते है या अकेलापन फील करने लगते है?
जब आप अपनी तकलीफों की जड़ तक पहुँचने की कोशिश करोगे तभी आपको रियल सोल्यूशन मिलेंगे और आप उन डिसट्रैक्शन्स से छुटकारा पाओगे जो आपको आगे नहीं बढने दे रहे.
Make Time for Traction
एक बार अगर आपने अपने इंटरनल ट्रिगर्स पर काबू पा लिया तो समझो आप ट्रैक्शन के लिए टाइम निकाल सकते हो.जर्मन philosopher Wolfgang von Goethe ने एक बार कहा था “अगर मुझे पता चल जाए कि आप अपना समय कैसे बिताते हैं तो मैं जान जाउँगा कि आगे आपका क्या होने वाला है”. हम सब अपने मटेरियल पोजेशंस को लेकर बहुत प्रोटेक्टिव रहते है. हमारे पास ताले हैं, तिजोरियाँ हैं, सिक्योरिटी सिस्टम है लेकिन हम अपने टाइम को प्रोटेक्ट करने के लिए कुछ नहीं करते.
जो पल गुजर चुका है, उसे हम लौटा नहीं सकते क्योंकि गया हुआ वक्त कभी वापस नहीं आता. इसलिए हमे अपने हर पल का सोच समझ कर इस्तेमाल करना चाहिए. यानी हमे अपना टाइम डिसट्रैक्शन के बजाए ट्रैक्शन पर स्पेंड करना होगा. कई सारे लोग अपने लिए प्लानर बना कर रख लेते है या एक दू-डू लिस्ट तैयार कर लेते है लेकिन कोई भी काम शुरू करने से पहले हमे इस सोच से शुरुवात करनी चाहिए कि हम वो काम क्यों करना चाहते है या हमे क्यों करना चाहिए. कम शब्दों में कहे तो हमे अपनी वैल्यूज़ पर वापस जाना चाहिए.
वैल्यूज़ हमारी असली पहचान है, एक वैल्यू हमारे लिए किसी गाईडिंग स्टार की तरह है, यानि एक फिक्स्ड पॉइंट जिस पर हमारी चॉइसेस और लाइफ के डिसीजंस बेस्ड होते है.
लेकिन प्रॉब्लम तो ये है कि हमारे पास अपने वैल्यूज़ को रिफ्लेक्ट करने का टाइम ही नहीं है. या तो हम जिंदगी के किसी एक पहलू पर इतना ज्यादा फोकस करते है कि बाकि एरियाज़ को भूल जाते है. जैसे एक्जाम्पल के लिए कई बार हम काम में इतना डूब जाते है कि फेमिली और फ्रेंड्स के लिए टाइम ही नहीं बचता. फिर कई बार ऐसा भी होता है कि अपने बच्चो को पालने में इंसान इतना बिजी हो जाता है कि अपने पर्सनल गोल्स ही भूल जाता है. और फिर लाइफ आउट ऑफ़ बेलेंस या बोरिंग लगने लगती है. और यही वो पॉइंट है जहाँ हम अपने दर्द से बचने के लिए डिसट्रैक्शन का सहारा लेते है.
लेकिन यहाँ सोल्यूशन ये है कि उन लाइफ के पहलुओं में वापस जाओ जहाँ हम अपना टाइम स्पेंड करते है. नीर इस सिचुएशन को तीन इंटरकनेक्टेड सर्कल की तरह इमेजिन करते है. पहला और सबसे छोटा सर्कल है” यू”. दूसरा और बड़ा सर्कल है” रिलेशनशिप्स” और बाहर की तरफ जो तीसरा और सबसे बड़ा सर्कल है, वो है” वर्क”. नीर एयाल कहते है कि ये तीन लाइफ के पहलू हैं यानी आप, आपके रिश्ते और आपका काम.
अब ये हमे तय करना है कि इन तीनो लाइफ डोमेन्स पर हमे अपना टाइम कैसे स्पेंड करना है. ये तीनो हमे डिसट्रैक्शन को अवॉयड करने और ट्रैक्शन के लिए टाइम सेव करने में हेल्प करेंगे.
नीर सलाह देते है कि ट्रैक्शन के लिए टाइम सेव करने का सबसे इफेक्टिव तरीका है” टाइम बॉक्सिंग”. अपने कैलेंडर पर बने बॉक्सेस के बारे में सोचो जिन पर आपने डे-टू-डे के टास्क लिखे है. आपको प्लान के हिसाब से चलना है और किसी भी चीज़ से डिसट्रैक्ट नहीं होना है, सोशल मिडिया हो या वीडियो वाचिंग कुछ भी नहीं .
अब ये सोचो कि आपको लाइफ के हर डोमेन पर कितना टाइम देना है. खुद को कितना टाइम देना है, अपने रिश्तो को कितना टाइम दोगे और कितना टाइम काम के लिए रखोगे? अब अगला स्टेप है, हर हफ्ते 15 मिनट का टाइम निकाल कर अपने शेड्यूल को रिफ्लेक्ट करना. ये आपका टाइम है अपने कैलेंडर इम्प्रूव करने के लिए. आपके लिए यहाँ दो सवाल है जो आपको रिफ्लेक्शन में हेल्प करेंगे.
पहला सवाल: “अपने शेड्यूल के हिसाब से मै कब डिसट्रैक्ट हुआ और कब मैंने वो टास्क पूरे किये जो मैंने प्लान किये थे? उन सारे इंटरनल और एक्स्टेनल ट्रिगर्स के बारे में भी सोचना जो आपको शायद डिसट्रैक्ट कर रहे थे.
अब आते है दूसरे सवाल पर: अपने कैलेंडर में मुझे क्या चेंजेस लाने चाहिए ताकि मै अपनी लाइफ में वैल्यूज़ एड कर सकूं? टाइमबॉक्सिंग का ये मतलब नहीं कि हर चीज़ अनचेंजेबल या फिक्स्ड है. इसीलिए आपको रिफ्लेक्ट और एडजस्ट करने का टाइम दिया गया है ताकि आप अपने शेड्यूल को इम्प्रूव कर सके.
अब जब आपके पास एक प्लांड शेड्यूल है तो आप कम से कम डिसट्रैक्ट होंगे. क्योंकि आपने अपना कीमती टाइम ट्रैक्शन के लिए बचा लिया. यानी जैसी लाइफ आप जीना चाहते थे, आप उसके करीब पहुँचने वाले हो.
Hack Back External Triggers
वेंडी एक फ्रीलांस मार्केटिंग कंसलटेंट है. उस दिन सुबह्र वो अपने सारे टास्क फिनिश करने के ईरादे के साथ उठी थी. उसे अच्छे से मालूम था कि आज उसे क्या-क्या काम करने है. वेंडी को एक नया क्लाइंट प्रपोजल लिखने के लिए नौ बजे तक ऑफिस पहुँचना था जोकि उसका सबसे इम्पोर्टेंट टास्क था.वेंडी ने अपना लैपटॉप खोला और स्क्रीन पर क्लाइंट की फाइल ओपन की. वो सुबह-सुबह प्रोडक्टिव काम करने के लिए काफी एक्साईटेड थी. लेकिन इससे पहले कि वो की-बोर्ड पर कुछ टाइप कर पाती, उसके फोन में एक नोटीफिकेशन की रिंग बजी. वेंडी ने अभी कुछ ही वर्ड्स टाइप किये थे कि दोबारा फोन पर अलर्टस आने शुरू हो गए.
आखिर वेंडी डिस्ट्रैक्ट हो ही गई. वो सोच रही थी कहीं क्लाइंट को तो मैसेज नहीं आया, उसने चेक करने के लिए अपना फोन उठाया. नहीं , ये क्लाइंट का मैसेज नहीं था, बल्कि एक फेमस रैपर ने कुछ ट्वीट किया था, उसका नोटिफ़िकेशन था. वेंडी ने आगे देखा एक मैसेज उसकी मदर का भी आया था. उसने माँ को एक हार्ट ईमोजी भेजकर रिप्लाई किया. फिर उसने लिंकेडीन से आये मैसेज चेक करने शुरू कर दिए. क्या पता उसे कोई नई बिजनेस अपोर्च्यूनिटी मिल जाये ?
वो रिप्लाई करना चाहती थी पर वेंडी को अचानक वक्त का ध्यान आया, उस वक्त नौ बजकर बीस मिनट हो चुके थे और उसने अभी तक एक काम भी पूरा नहीं किया था. और ना ही वो क्लाइंट प्रोपोज़ल पर कुछ लिख पाई थी. वेंडी ने फोकस तो लूज़ किया ही साथ ही वो बिग आईडिया भी जो उसके दिमाग में घूम रहा था.
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? इस वक्त हम यहाँ एक्स्टर्नल ट्रिगर्स की बात कर रहे है जो हमारे फोन में बजने वाले एंडलेस नोटीफिकेश्न्स और अलार्म्स की बाढ़ है, जो हमे सबसे ज्यादा डिसट्रैक्ट करते है.
इसीलिए हमे इन एक्स्टर्नल ट्रिगर्स को हैक बैक करना पड़ता है. हैक का मतलब है किसी सिस्टम में अनऑथराईज्ड एक्सेस. टेक कंपनीज़ भी कुछ इसी तरह हमे लगातार ये नोटीफिकेश्न्स भेज कर हमारे ब्रेन को हैक करती है. लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम इन्हें हैक बैक करे.
जितना हम respond करेंगे उतना ही हम अपने ब्रेन को इन कभी ना ख़त्म होने वाले stimulus और response लूप के लिए ट्रेन करते है. क्योंकि हम तुरंत response करना चाहते है और इस तरह हम अपना जरूरी काम-धंधा छोडकर मोबाइल हाथ में लिए बैठे रहते है.
वैसे फ़ोन में बजने वाली नोटिफिकेश्न्स और अलार्म्स को इग्नोर करना ईज़ी नहीं है, फोन का हमारे नज़दीक होंना ही अपने आप में एक बड़ा ट्रिगर है जो हमे डिस्ट्रैक्ट कर देता है. यहाँ हम आपको चार टिप्स बता रहे है कि कैसे हम अपने स्मार्टफोन को हैक बैक कर सकते है. ये है रीमूव, रीप्लेस, रीअरेंज और रीक्लेम.
स्टेप 1. जो एप्स आप यूज़ नहीं करते, उन्हें रीमूव करो. साथ ही जो एप्स आपके वैल्यूज़ से मैच नहीं करते उन्हें भी हटा दो. सिर्फ वही एप्स फोन में रखो जो लर्निंग में या हेल्दी रहने में आपको हेल्प करे. सारे ऑनलाइन गेम्स और फालतू के एप्स हटा दो.
स्टेप 2. अपने फोन को एक wrist watch से बदल लो, क्या आप उनमे से है जो टाइम चेक करने के लिए बार-बार मोबाइल देखते है. लेकिन इस चक्कर में आपको नोटिफिकेश्न भी दिख जाते है और आप फ़ोन ब्राउज़ करना स्टार्ट कर देते हो. इसलिए बैटर होगा कि आप टाइम देखने के लिए रिस्टवाच यूज़ करना शुरू कर दो ताकि बार-बार डिसट्रैक्शन ना हो.
और अपने फोन से सारे सोशल मिडिया एप्स भी डिलीट कर दो. चाहे फेसबुक , इन्स्टाग्राम हो या यूट्यूब या जो भी आपका टाइम कंज्यूम करता है. हर हफ्ते का एक शेड्यूल सेट कर लो कि इतने बजे आप अपने फ्रेंड्स और फेमिली के मैसेजेस चेक करोगे और वो भी अपने डेस्कटॉप कंप्यूटर पर क्योंकि वहां आपको कोई नोटीफिकेश्न्स नहीं मिलेंगे.
स्टेप 3. अपना होम स्क्रीन रीअरेंज कर लो. टोनी स्टबलबाइन (Tony Stubblebine ) ट्विटर के छठे एम्प्लोई थे जिन्होंने सुझाव दिया था कि एप्स को प्राइमरी टूल्स और एस्पिरेशंस में कैटेगराईज़ किया जाना चाहिए. प्राइमरी टूल्स में वो एप्स आते है जो आपको लोकेशन ढूँढने, कैब वगैरह लेने या अपोइन्टमेंट सेट करने में हेल्प करते है. और एस्पिरेशंस में वो एप्स आते है जो हमे समरी रीडिंग, एक्सरसाईंज़, योगा या मेडिटेशन में हेल्प करते है. हमे अपने होम स्क्रीन पर इन्हीं एप्स को रखना चाहिए.
स्टेप 4.अपने फोन की सेटिंग चेंज करके उसे use करो. कई स्टडी से प्रूव हो चुका है कि सिर्फ 15% स्मार्टफोन यूजर्स ही अपनी नोटिफ़िकेशन सेटिंग चेंज करते है. 85% लोग अपना फोन डिफ़ॉल्ट मोड पर यूज़ करते है जहाँ हर वक्त एप्स के नोटीफिकेश्न बजते रहते है.
अपने स्मार्टफोन की सेटिंग चेंज करने और नोटीफिकेशंस को डिसएबल करने में कुछ ही मिनट्स लगते है. आप ई-मेल या बाकि इम्पोर्टेंट एप्स के साउंड को लिमिट कर सकते है. जब आप मीटिंग में हो या ड्राइव कर रहे हो या किसी टास्क पर फोकस करना हो तो आप अपना फोन डू नोट डिस्टर्ब मोड पर रख सकते हो.
रीमूव, रीप्लेस, रीअरेंज और रीक्लेम के साथ आप जब चाहे अपना स्मार्टफोन हैकबैक कर सकते हो. और इस तरह आप ईज़िली उन एक्सटर्नल ट्रिगर्स पर कण्ट्रोल कर सकते हो जो आपको डिस्ट्रैक्ट करते है.
Prevent Distraction with Pacts
अब हम इंडिसट्रैक्टेबल मॉडल के चौथे और लास्ट पार्ट में पहुंच गए है जो है डिसट्रैक्शन को रोकना. और इसे अचीव करने के लिए आपको प्री-कमिटमेंट करनी होगी या कुछ समझौते करने होंगे. आप ये समझ लीजिये कि ये एक तरह के वाडे है जो आप खुद से करते है या दूसरों से ताकि डिसट्रैक्शन अवॉयड करके अपने गोल्स या टास्क पूरे किये जा सके.प्री-कमिटमेंट वो पॉवरफुल मोटीवेश्न्स है जो आपको पुश करके अपने गोल्स की तरफ धकेलते है, यानी जो काम आपको करने है,उन्हें पूरा करने के लिए आपको इंस्पायर करते है. इस चैप्टर में हम प्राइस पैक्ट्स या प्री-कमिटमेंट के बारे में डिस्कस करेंगे जिसमे पैसा इन्वोल्व है.
फर्स्ट एक्जाम्पल है एक रिसर्च स्टडी जो न्यू इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में पब्लिश हुई थी. इसमें स्मोकर्स के तीन ग्रुप्स शामिल थे जो ये बुरी लत छोड़ने की कोशिश कर रहे थे.
फर्स्ट ग्रुप था कण्ट्रोल ग्रुप. इन्हें फ्री निकोटिन पैच दिए गए और सिगरेट के हार्मफुल इफेक्ट्स पर एजुकेशन इन्फोर्मेशन भी दी गई ताकि ये स्मोकिंग छोड़ सके.और छेह महीने बाद ही ग्रुप के 6% लोगों की सिगरेट की बुरी लत एकदम छूट गई थी.
सेकंड ग्रुप का नाम था रिवॉर्ड ग्रुप, इन्हें ऑफर दिया गया कि अगर उन्होंने छह महीनो के अन्दर स्मोकिंग छोड़ दी तो इन्हें $800 का ईनाम दिया जाएगा. इस ग्रुप में से 17% लोगों ने सिगरेट पीना छोड़ दिया और अपना रिवॉर्ड ले लिया.
थर्ड ग्रुप का नाम था deposit ग्रुप, यानि उन्हें $150 deposit करने थे, इन्हें बोला गया था कि अगर इन्होने छह महीने के अंदर सिगरेट छोड़ दी तो उन्हें उनके पैसे वापस मिल जायेंगे और साथ ही $650 का बोनस अलग से मिलेगा.
आप सोच रहे होंगे कि डिपाजिट ग्रुप का रिजल्ट क्या रहा? आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इनमें से करीब 52% लोगों ने सिगरेट पीना छोड़ा और अपना गोल अचीव किया.
आप शायद ये सोच रहे होंगे कि $150 का deposit $800 के रिवॉर्ड से ज्यादा इफेक्टिव कैसे हो गया?
बेहिविरियल ईकोनोमिक्स में एक बड़ा फेमस कॉन्सेप्ट है जिसे loss aversion कहा जाता है. कई सारी स्टडी से या प्रूव हो चुका है कि लोग फायदे से ज्यादा नुकसान या पेन अवॉयड करने पर ज्यादा फोकस करते है. यानी किसी चीज़ को पाने की ख़ुशी से ज्यादा बड़ा है किसी चीज़ को खोने का डर.
आगे कुछ और एक्जाम्पल्स है जो ऑथर नीर एयाल ने अपनी पर्सनल लाइफ में एक्सपीरिएंस किये है. कुछ साल पहले की बात है जब नीर एयाल ये सोचकर काफी फ्रस्ट्रेट हो रहे थे कि उन्हें रेगुलर एक्सरसाईज़ का टाइम नहीं मिल पाता. वो हमेशा बहाने बनाते रहते थे हालंकि जिम उनके घर के एकदम पास में था और उन्होंने जिम की मेंबरशिप भी ली हुई थी.
तो नीर ने खुद के साथ एक प्राइस पैक्ट बनाया, उन्होंने अपने कैलेंडर में $100 का बिल टैप किया. नीर ने खुद से कहा कि अगर वो अपने कैलेंडर में लिखे वर्क आउट शेड्यूल को फोलो नहीं करेंगे तो उन्हें $100 डॉलर खर्च करने होंगे.
आप शायद सोचे” ये तो कुछ ज्यादा ही हो गया!” ऐसे कौन पैसे वेस्ट करता है. लेकिन आप जानकर हैरान रह जायेंगे कि ये फ़ॉर्मूला नीर पर काम कर गया. हर रोज़ उन्हें कैलेंडर देखकर याद आता था कि उन्हें अपने $100 डॉलर बचाने है. और यही चीज़ उन्हें जिम जाने के लिए मोटिवेट करती थी.
नीर के लिए” या तो कैलोरीज़ बर्न करो या $100 डॉलर बर्न करो” वाली टेक्नीक पूरे तीन साल तक इफेक्टिवली काम करती रही. और अब रेगुलर एक्सरसाईज़ करना नीर की एक हैबिट बन चुकी है.
एक लास्ट एक्जाम्पल लेते है. नीर ने अपनी बुक को लिखने के लिए पूरे पांच साल रिसर्च की. उनके पास जब काफी डेटा कलेक्ट हो गया तो उन्होंने लिखने का ईरादा किया. लेकिन इसके बावजूद नीर लिखने के लिए मोटिवेट ही नहीं हो पा रहे थे. वो ऑनलाइन और ऑफ़लाइन रिसर्च पर रिसर्च किये जा रहे थे. इस चक्कर में कई बार वो अनरिलेटेड आर्टिकल्स पढने बैठ जाते. यानी कुल मिलाकर नीर ट्रैक्शन नहीं बना पा रहे थे.
लास्ट में वो इतने फ्रस्ट्रेट हो गए कि उन्होंने अपने फ्रेंड से हेल्प मांगी. नीर ने अपने फ्रेंड मार्क से कहा कि अगर वो एक सेट डेट तक अपनी बुक का फर्स्ट ड्राफ्ट नहीं लिख पाए तो उन्हें मार्क को $10,000 देने होंगे.
शर्त में पैसा हारने के चक्कर में नीर परेशान रहने लगे, ये पैसा उन्होंने अपने 40th बर्थडे पर फेमिली वेकेशन पर जाने के लिए सेव कर रखा था पर इसके बावजूद नीर अपनी बुक लिखने के लिए कमर कस चुके थे.
नीर ने खुद से कमिटमेंट कर ली थी कि वो हर हफ्ते छह दिन रोज़ के दो घंटे लिखेंगे. अपनी इस प्री-कमिटमेंट की वजह से नीर अपनी बुक पूरी कर पाए जो इस वक्त आप लोग सुन रहे है.
Conclusion
चलिए अब इंडिस्ट्रैक्टेबल मॉडल को एक बार दोहरा लेते है. इंटरनल ट्रिगर्स को कण्ट्रोल में करने के लिए, हमे ट्रैक्शन के लिए टाइम निकालना होगा, एक्स्टरनल ट्रिगर्स को वापस हैक करके डिसट्रैक्शन को रोकना होगा.आपने इस समरी में ज़ोई और उसके पेडोमीटर ओबसेशन के बारे में पढ़ा. आपका स्मार्ट फोन, एप्स और बाकि गैजेट्स शायद आपको आपकी पर्सनल प्रॉब्लम फेस करने से डिस्ट्रैक्ट कर रहे है. लेकिन आपको अपने स्ट्रेस और अकेलेपन की असली वजह ढूंढनी ही होगी ताकि आप उन्हें सोल्व करके अपनी बेड हैबिट्स से छुटकारा पा सके.
इस समरी में आपने टाइमबॉक्सिंग और थ्री डोमेन्स ऑफ़ लाइफ के बारे में भी पढ़ा, और वो है, आप, आपके रिलेशनशिप्स और आपका काम. टाइम बॉक्सिंग की हेल्प से आप अपना पूरा दिन प्लान कर पाएंगे जिससे आपको पता चल पायेगा कि पूरे दिनभर में आपने जो कुछ भी किया, वो आपकी वैल्यूज़ के हिसाब से था या नहीं. इस तरह आप ट्रैक्शन के लिए टाइम निकाल पाओगे.
यहाँ आपने वेंडी और उसके कभी ना खत्म होने वाले नोटीफिकेश्न की स्टोरी भी पढ़ी. ऐसे चार स्टेप्स इस समरी में दिए गए है जिससे आप अपने स्मार्ट फोन को हैक बैक कर सकते हो और ये स्टेप्स है: रिमूव, रिप्लेस, रीअरेंज और reclaim. स्मार्टफोन और app का एक ही मकसद है कि हम उन्हें ज्यादा से ज्यादा टाइम और अटेंशन दे लेकिन अगर आप एक समझदार यूजर है तो आप अपनी एडिक्शन पर कण्ट्रोल कर सकते हो.
और लास्ट में आपने यहाँ पैकट्स और प्री-कमिटमेंट के बारे में पढ़ा. ये वो इफेक्टिव तरीके है जिनसे आप डिसट्रेक्शन अवॉयड करके और ज्यादा ट्रैक्शन कर सकते हो. जब लोग कुछ खोने से डरते है तो वो अपने मनचाहे गोल अचीव करने के लिए और ज्यादा मेहनत करने लगते है. तो इसलिए आप भी खुद के साथ या किसी फ्रेंड के साथ एक पैक्ट बनाने की कोशिश करो और फिर रिजल्ट देखो क्या होता है.
अब जबकि आप डिसट्रैक्शन से छुटकारा पाने का तरीका जान चुके है तो क्यों ना अपनी लाइफ में और ज्यादा ट्रैक्शन लाई जाए. इस समरी में दिए गए प्रिंसिपल्स को लाइफ में अप्लाई करे और आज से ही इंडीसट्रैक्टेबल बनना स्टार्ट कर दे.
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