The Obstacle Is the Way: the Timeless Art of Turning Trials into Triumph Summary in Hindi
By- Ryan Holiday
---------- ABOUT BOOK ----------
क्या आप अभी किसी मुसीबत का सामना कर रहे हैं ? या आप किसी सपने को पूरा करने की कोशिश करने से डर रहे हैं ?अगर हाँ तो आप अकेले नहीं हैं,ये हम सब के साथ हुआ है. जब हमारे रास्ते में कोई रुकावट आ जाती है तो ज़्यादातर लोग या तो आगे बढ़ने से डर जाते हैं या अगला कदम रखने से.
ये जानते हुए भी कि हमें क्या करना चाहिए, हमडर कर वहीं रुक जाते हैं. शायद हम अपनी ज़िन्दगी में जहां है वहाँ खुश नहीं हैं फिर भी हम उसे दूर करने के लिए कुछ भीनहीं करते. हम आगे ही नहीं बढ़ पाते हैं.
ये बुक समरी आपको एकऐसे ज़रूरी गुण या प्रिंसिप्ल के बारे में बताएगी जिससे आप ये सीखेंगे कि कैसे इस रुकावट को एक मौके में बदल कर सफलता हासिल की जा सकती है. बुरा वक़्त का मतलब ये नहीं होता कि सब कुछ ख़त्म हो गया है. ये भी बस समय है जो गुज़र जाएगा. ये फैसला आपका है कि ये आपको क्या बना कर जाता है : एक सक्सेसफुल इंसान या एक हारा हुआ निराश इंसान.
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---------- SUMMARY ----------
इंट्रोडक्शन(Introduction)
क्या आप अभी किसी मुसीबत का सामना कर रहे हैं ? या आप किसी सपने को पूरा करने की कोशिश करने से डर रहे हैं ?अगर हाँ तो आप अकेले नहीं हैं,ये हम सब के साथ हुआ है. जब हमारे रास्ते में कोई रुकावट आ जाती है तो ज़्यादातर लोग या तो आगे बढ़ने से डर जाते हैं या अगला कदम रखने से.ये जानते हुए भी कि हमें क्या करना चाहिए, हमडर कर वहीं रुक जाते हैं. शायद हम अपनी ज़िन्दगी में जहां है वहाँ खुश नहीं हैं फिर भी हम उसे दूर करने के लिए कुछ भीनहीं करते. हम आगे ही नहीं बढ़ पाते हैं.
ये बुक समरी आपको एकऐसे ज़रूरी गुण या प्रिंसिप्ल के बारे में बताएगी जिससे आप ये सीखेंगे कि कैसे इस रुकावट को एक मौके में बदल कर सफलता हासिल की जा सकती है. बुरा वक़्त का मतलब ये नहीं होता कि सब कुछ ख़त्म हो गया है. ये भी बस समय है जो गुज़र जाएगा. ये फैसला आपका है कि ये आपको क्या बना कर जाता है : एक सक्सेसफुल इंसान या एक हारा हुआ निराश इंसान.
अपनी मुश्किलों से एक सफल आदमी बन कर निकलने के लिए ये बुक आपको दुनिया को देखने का एक अलग नजरिया सिखाएगी, कैसे अपनी ज़िन्दगी में ज्यादा डिसिप्लिन अपना करकाम करना है और कैसे आगे बढ़ते जाना है ये भी सिखाएगी.
आप ये भी सीखेंगे कि चुप बैठने से कुछ नहीं होगा, कोई काम करना या अगला कदम उठाना बहुत ज़रूरी है . मगर बिना सोचे समझे ऐसा नहीं करना है, समझदारी से हर स्टेप उठाना है, लगातार बिना रुके, ताकि हम अपने गोल तक पहुँच सकें. आप को ये समझ में आएगा कि हालांकि कोई ना कोई एक्शन लेना ज़रूरी है लेकिन वो काफी नहीं है. दुनिया जीतने के लिए आप उन स्ट्रेटेजीज या प्लानिंग प्रोसेस के बारे में जानेंगे जो आपकी ज़िन्दगी को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी.
अगर आपकी ज़िन्दगी अभी थोड़ी मुश्किल है तो चिंता मत कीजिये, आप अकेले नहीं हैं. ये समरी आपको उन लोगों की कहानियों के बारे में बताएगी जो बहुत मुश्किल हालातों में रहे हैं लेकिन फिर भी वो उन सब का सामना करके उससे ज्यादा मज़बूत और सफल बन कर बाहर निकले हैं.
ऐसा नहीं है कि उनमें कोई अनोखी या ख़ास बात है. आप उनसे सीख कर उनके जैसे बन सकते हैं. क्या पता आप उनसे भी ज्यादा सक्सेसफुल हो जाएँ. अगर आपको अपनी ज़िन्दगी का मकसद या गोल मिल गया है और आप डट कर मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत रखतें हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता औरसफलता की कोई सीमा नहीं होती, आप कितनी भी सफलता चाहेंहासिल कर सकते हैं.
द डिसिप्लिन ऑफ़ परसेप्शन (The Discipline of Perception)
ज़िन्दगी हमारी समझ और सोचने के तरीके के बारे में है. आप दुनिया को किस नज़रिए से देखतें हैं और समझतें हैं इस बात का फैसला करता है कि आपके सफल होने के कितने चांसेस हैं. बिज़नस हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलता, कभी प्रॉफिट तो कभी लॉस तो होता ही है.
कभी कभी आप ऐसी रुकावटों का सामना कर सकते हैं जो आपकी रातों की नींद ही उड़ा देगा.ऐसे समय में आपको कॉन्फिडेंस के साथ इसका सामना करके इसे सुलझाना होगा. आस पास के लोगों की घबराहट से अपने मन पर असर मत होने दीजियेगा क्योंकि इस समय आपको खुले दिमाग से सोचने की ज़रुरत है.
डट कर मजबूती से खड़े रहिएगा. किसी प्रॉब्लम से निकलने का एक ही तरीका होता है, बुद्धि लगा कर सोच कर कोई उपाय ढूंढना.शांत रहिये और ऐसे उपाय के बारे में सोचिये जो आपकी प्रॉब्लम को हल करने में मदद कर सके. सक्सेसफुल लोग प्रॉब्लम में भी एक ओप्पोर्तुनिटी या मौका ढूंढ लेते हैं. जॉन रॉकफेलर एक फेमस आयल कंपनी के मालिक बनने से पहले एक छोटे इन्वेस्टर थे.उनकी पहली जॉब एक बुककीपर (अकाउंटेंट) की थी. वो खुश थे कि हर दिन उन्हें 50 सेंट मिल रहा था. फिर ऑहियो में मार्केट खराब होने की वजह से बहुत बड़ी समस्या हो गई. उनका शहर क्लीवलैंड को1857 की क्राइसिस से सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ था.
पूरे देश में बिज़नस की हालत बहुत खराब थी. इसकी वजह से अनाज के दाम गिरने लगे. इकॉनमी और बिज़नस की हालत अपनेसबसे बुरे समय से गुज़र रही थी और इस मुश्किल वक़्त का पूरे देश को कई सालों तक सामना करना पडा. ये हिस्ट्री का सबसे बुरा क्राइसिस था. रॉकफेलर घबराए नहीं और अपने शराबी पिता की तरह डर कर भागे भी नहीं. उन्होंने अपना बिज़नस बंद नहीं किया, वो डट कर खड़े रहे. इस प्रॉब्लम की वजह से जैसे सबसे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, सब बस चिंता कर रहे थे या भाग रहे थे. रॉकफेलर विश्वास के साथ खड़े रहे और हर चीज़ को ध्यान से देखने लगे और समझने लगे.उन्होंने ठान लिया था कि इस क्राइसिस से जितना हो सके वो सीखेंगे. एक बिजनेसमैन के नज़र से उनके लिए ये एक मौका था गलतियां समझ कर उनसे सीखने का.
वो अपने पैसे बचाने लगे और उन गलतियों को करने से बचने की कोशिश करने लगे जो दूसरे कर रहे थे. उन्होंने बहुत इम्पोर्टेन्ट सबक सीखा जो जीवनभर उनके काम आने वाला था. उन्होंने सीखा कि बिज़नस का मार्केट और इकॉनमी कभी भी एक जैसे नहीं रहते, ये कभी भी बदल सकतेहैं. कभी प्रॉफिट तो कभी लॉस हो सकता है, यहाँ किसी चीज़ की कोई गारंटी नहीं है.
उन्होंने ये भी सीखा कि इस तरह के मार्केट में काम करने के लिए हमें डिसिप्लिन और बुद्धिमानी से फैसला करने की ज़रुरत होती है. सिर्फ इसलिए कि आप डरे हुए हैं और बिना सोचे समझे कोई शोर्ट कट वाला फैसला अपना लेते हैं तो ये आगे जा कर आपको सक्सेसफुल नहीं बना पाएगा. जबरॉ कफेलर 25 साल के हुए तो कुछ इन्वेस्टर्स ने उन्हें ऑयल बिज़नेस में काम शुरू करने के लिए पैसे ऑफर किये. रॉकफेलर ने तेल के कुओं के बारे में पता लगाया, फिर उन्होंने वो पैसे वापस कर दिए. उन इन्वेस्टर्स को बहुत हैरानी हुई कि रॉकफेलर ने एक ऐसे ऑफर को मना कर दिया जो उन्हें एक गोल्डन चांस जैसा लग रहा था. मगर रॉकफेलर की नज़र में ये एक अच्छा और फायदे का इन्वेस्टमेंट नहीं था इसलिए उन्होंने मना कर दिया. वो बहुत डिसिप्लिन के साथ जीते थे. बिज़नेस को देखने का उनका अलग नजरिया था, वो फैक्ट्स को देख कर समझ कर फैसला लेने में विश्वास करते थे. वो लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देते थे. उनका यही सोचने का तरीका उन्हें इतना आगे ले गया, उन्हें एक के बाद एक मौके मिलते चले गए. कम उम्र में उन्होंने सीख लिया था कि सफल होने के लिए हमें पेशेंस और डिसिप्लिन की ज़रुरत होती है.
अगले बीस सालों में ऑयल बिज़नेस का 90% मार्केट रॉकफेलर के हाथ में था. जो बात उन्हें दूसरों से अलग बनाती है वो ये है कि उन्होंने कभी लालच नहीं किया और ना कभी किसी चीज़ से डरे.
चिंता मत कीजिये, ये कोई स्पेशल पॉवर नहीं है. ये चीज़ों को देख कर समझ कर उसे एक्सपीरियंस करने से मिलता है.तो आप भी हर मुसीबत में एक मौका देखना सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं. ज़िन्दगी हमेशा सीधी या आसान नहीं होती इसलिए सबसे अच्छा होता है कि हम इसके लिए तैयार रहे.
फर्क बस हमारी सोच का है.हमारे सोचने का तरीका इतना पावरफुल हथियार है जो हमें बिलकुल तोड़ भी सकता है या बहुत ज्यादा ताकतवर भी बना सकता है. आप नज़र से किसी प्रॉब्लम को देखते हैं और समझतें हैं वो सबसे ज्यादा मायने रखता है.
अगर आप लोगों के भरोसे या किसी सिचुएशन के ऊपर अपने प्रॉब्लम को छोड़ देंगे तो आप हमेशा हारेंगे.मान लीजिये कि अचानक से कुछ ऐसा होता है जिसके लिए आप तैयार नहीं हैं,तो एक गहरी सांस लीजिये, शान्ति से उसका सामना कीजिये. उस सिचुएशन का फायदा उठाने की कोशिश कीजिये, उसे अपना फायदा मत उठाने दीजिये.
रुबिन कार्टर की कहानी एक बहुत अच्छा एक्जाम्पल है कि कैसे हमारे सोचने का नजरिया, हमारे सोचने की ताकत कैसे बुरे वक़्त का भी नतीजा बदल देती है. कार्टर एक बहुत सफल बॉक्सर थे. उन्हें एक नाम“तूफ़ान” भी दिया गया था. 1960 में उन पर तीन लोगों का मर्डर करने का इलज़ाम लगा था.
बेक़सूर होते हुए भी उन्हें जेल जाना पड़ा.उनकी जगह कोई और होता तो टूट जाता, डर जाता या बहुत गुस्सा हो जाता. मगर वो ऐसे नहीं थे. वोकोर्ट में ट्रायल के समय भी महँगा सूट, डायमंड की रिंग और सोने की घडी पहन कर जाते थे. जब कार्टर को जेल ले जाया गया तो उन्होंने एक अपराधी जैसा व्यवहार स्वीकार करने मना कर दिया. वो बेक़सूर थे और उन्होंने अपनी इस ताकत को उन्हें छीनने नहीं दिया. हाँ वो अब आज़ाद नहीं थे, जेल के अन्दर बंद थे मगर कमज़ोर भी नहीं थे. उन्होंने सबको धमकी दी थी कि अगर कोई उनके साथ एक कैदी जैसा व्यवहार करेगा तो वो उसे बहुत मारेंगे. वो डट कर खड़े रहे और अपनी सोच और ऐटिटूड को वैसे ही बनाए रखा. जेल में बंद होने के बावजूद उन्होंने इसे एक मौके की तरह देखा कि वो इससे कितना कुछ सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं.
वो बहुत बुक्स पढ़ा करते थे जैसे लॉ की, फिलोसोफी और हिस्ट्री की. हालांकि वो जेल में थे, कार्टर ने इस बुरे समय का खुद पर असर नहीं पड़ने दिया. कोई रुकावट हम पर कैसा असर करा है इसका फैसला हम खुद करते हैं. ज़िन्दगी हमें तकलीफ दे सकती है पर वो हमसे हमारी ताकत नहीं छीन सकती. हमारी सोच और हमारे फैसले हमारा फ्यूचर बनाते हैं.
स्टेडी योर नर्व्ज़ (Steady Your Nerves)
हमारे जीवन में, ख़ास कर बिज़नेस की दुनिया में, हमारी हिम्मत और सोचने के तरीके का सीधा असर हमारे फैसले पर पड़ता है. हम हमेशा कम्पटीशन से घिरे रहते हैं जहां दूसरे हमसे आगे निकलने की कोशिश करतेहैं, कभी ऐसे एम्प्लोयीज़ भीहोते हैं जो ठीक से अपना काम नहीं करते और ऐसे सिचुएशन भी होते हैं जो हमारी पहुँच से बाहर होते हैं, उन पर हमारा कोई कण्ट्रोल नहीं होता.हमेशा कुछ ना कुछ होता ही रहेगा जो आपको डराएगा और नुक्सान पहुंचाएगा. आपको खुद से पूछना होगा : क्या उन्हें आप जीतने देंगे ? या आप खुद को समझाकर और संभालकर मजबूती से खड़े रहेंगे ?
जितनेऊँचे आपके सपने होंगे उतने ही ज्यादा मुश्किलों का आपको सामना करना होगा. सफलतापाना इतना आसान नहीं है, उसे पाने के लिए कुछ ना कुछ तो कीमत चुकानी ही पड़ती है. जब आप उसका सामना करेंगे तो आपका टैलेंट आपको नहीं बचाएगा. आपको आपकी बुद्धिमानी और समझ बचाएगी.अगर आप किसी खतरे का सामना एक क्लियर माइंड और शांत दिमाग से करेंगे तो आपइससे पहले से भीज्यादा ताकतवर और सक्सेसफुल बन कर निकलेंगे. मुसीबत में कैसे खुद के मन को कडा रखना है उसका एक बहुत अच्छा एक्जाम्पलहै यूलिस एस ग्रांट(Ulysses S. Grant) . वो एक अमेरिकन सिविल वॉर जनरल थे. एक बार एक वॉर ख़त्म होने के बाद सबकी फोटो खिंची जा रही थी. ग्रांट एक स्टेज पर बैठे थे. फोटोग्राफर ने अपने असिस्टेंट से लाइट लगाने को कहा .
जब असिस्टेंट लाइट लगाने की कोशिश कर रहा था तो वो फिसल कर गिर गया जिसकी वजह से गिलास टूट कर हर जगह बिखर गया. ये बहुत डराने वाला नज़ारा था क्योंकि ये ग्रांट के बिलकुल पास में गिरा था.पर फोटोग्राफर ने देखा कि ग्रांटने अपनी पलक तक नहीं झपकाई मतलब वो बिलकुलभीडरे नहीं.
एक बार वॉर के समय एक बम ग्रांट के बिलकुल पास आकर गिरा.उनके घोड़े को चोट लगी पर उन्हें कुछ नहीं हुआ.उस समय ग्रांट दुश्मन पर टेलिस्कोप से नज़र रख रहे थे.जबबम वहाँ गिरा तो वो बिलकुल नहीं डरे,यहाँ तक कि पीछे भी नहीं हटे.
एक इंसान अपने काम को कितना ध्यान लगा कर कर सकता है ये इसका एक अच्छा एक्जाम्पल है.उसे पता है कि उसे क्या करना है और इसके लिए वो किसी भी चीज़ का सामना करने को तैयार रहता है. हमें इसी हिम्मत और नीडरता की ज़रुरत है.
द डिसिप्लिन ऑफ़ एक्शन (The Discipline of Action)
जब आपके सामने कोई प्रॉब्लम आती है तो क्या आप उससे भागते हैं ? या आप उसका सामना करते हैं ? हम जितना सोचते हैं हम उससे कई ज्यादा शक्तिशाली हैं. इस ताकत का हमें तब एहसास होता है जब हमें चोट लगती है और हमारा शरीर अपने आप खुद को इस तकलीफ से बचाने की कोशिश करता है.हमारे शरीर को पता है कि कोशिश करने से वो खुद को बचा सकता है. ये इंस्टिंक्ट यानी मन की आवाज़ पर काम करता है. जब हम इस मन की आवाज़, जिस पर अगरडर छाया हुआ हो, उसके हिसाब से डिसिशन लेते हैं तो हमारे सारे डिसिशन गलत होते हैं.
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहाँ से आए हैं आपबसबुरे वक़्त और सिचुएशन को दोष देने लगते हैं. फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि आप मुश्किलों का किस नज़रिए और सोच से सामना करते हैं और आपउससे निकलने के लिए कौन सा कदम उठाते हैं.
जब चीज़ें मुश्किल हो जाएँ तो उसे छोड़ कर भागिए मत, उदास मत होइए और खुद के लिए बुरा महसूस मत कीजिये. इसके बजाय ध्यान लगा कर, कुछ नया सोच कर उसे हल करने की कोशिश कीजिये. हिस्ट्री इस बात का गवाह है कि ना जाने कितने लोग बहुत गरीबी और मुश्किल सिचुएशन में पले बढे हैं पर उन्होंने उस तकलीफ में भी मौका ढूंढ कर खुद को साबित किया है.
एक एक्जाम्पल है डेमोस्थेनेस (Demosthenes) का.जब उनका जन्म हुआ तो वो शरीर से बहुत कमज़ोर थे. उन्हें हकलाने की भी तकलीफथी, उनकी बोली क्लियर नहीं थी. जब वो 7 साल के हुए तो उनके पिता की डेथ हो गयी जिसकी वजह से उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
उनके पिता उनके लिए बहुत पैसा छोड़ कर गए थे. उन्होंने ये पैसा डेमोस्थेनेस की पढाई के लिए छोड़ा था मगर उनकी देखभाल करने वाले गार्डियन ने हथिया लिया.जिसकी वजह से डेमोस्थेनेस के पास कुछ नहीं बचा. वो बीमार तो थे ही, उनके पैसे भी उनसे ले लिए गए, वोहकलाते भी थे जिसकी वजह से सब उनका मज़ाक उड़ाया करते थे, उन्हें सब गलत समझते थे.
वो इस पूरी दुनिया में बिलकुल अकेले हो गए थे. उन्हें जिसका भी सहारा था उन सब ने उनका साथ छोड़ दिया था. अगर हम उनकी जगह होते तो हार मान लेते लेकिन डेमोस्थेनेस ने हौसला नहीं छोड़ा, उन्होंने हार मानने से मना कर दिया. उनकी इतनी खराब हालत होने के बाद भी वो हमेशा उस महान आदमी की तरह बनना चाहते थे जिन्हें उन्होंने एथेंस के कोर्ट में स्पीच देते हुए घंटों तक सुना था. इसलिए उन्होंने कोई ना कोई कदम उठाने का फैसला किया.
डेमोस्थेनेस खुद ठीक से बोलने करने की कोशिश करने लगे. वो छोटे छोटे पत्थर मुंह में डाल कर बोलने की कोशिश करते.उन्होंनेप्रैक्टिस करते करते पूरीस्पीच को एक सांस में बोलने की कोशिश की औरवो वहाँ रुके नहीं. उन्होंने और मेहनत की.
और ज्यादा सीखने के लिए उन्होंने एक गुफा बनाई और उसमें अकेले रहने लगे. ये पक्का करने के लिए कि वो बीच में ही हार ना मान ले या भाग ना जायें, उन्होंने अपने सिर के आधे बाल काट दिए. ऐसा करने से अब उन्हें बाहर की दुनिया में जाने में शर्म आने लगी. उन्होंने इसमें इतना ध्यान लगा दिया कि उन्हें लगने लगा कि ये दुनिया बस हमारा ध्यान भटकाने का काम करती है.
आने वाले सालों में उन्होंने बहुत कुछ सीखा और डिबेट जीतने लगे. जब वो और बड़े हुए तो उन्होंने उन लोगों पर केस कर दिया जिन्होंने उनके पैसे ले लिए थे. वो बस अपना थोडा सा पैसा वापस ले पाए लेकिन अपनी स्पीच देने की कला की वजह से बहुत पोपुलर हो गए. उनका बहुत नाम होने लगा और वो एथेंस की आवाज़ बन गए.
जब उनसे पुछा गया कि उनकी सफलता का राज़ क्या है तो वो हमेशा कहते कि अपना गोल हासिल करने के लिए कोई ना कोई कदम उठाना ज़रूरी है, चुप मत बैठो, उसके बारे में कुछ करो.
गेट मूविंग (Get Moving)
कभी कभी जब हम अपने प्रोब्लम्स के बारे में सोचते हैं तो अगला कदम उठाने से डरते हैं. हम खुद पर भरोसा ही नहीं करते कि हम में रिस्क लेने की ताकत है. हमें पता होता है कि हमें क्या करना है पर हम आगे ही नहीं बढ़ते.ये दुनिया आपके किसी फैसले के लिए इंतज़ार नहीं करेगी. आप सोचेंगे कि सही समय आने पर फैसला ले लेंगे और ज़िन्दगी ऐसे ही निकल जाएगी. आप बहुत सारे मौके खो देंगे. आपकी मुश्किलें बस बढती ही जाएंगी.अमेलिया इअरहार्टउस समय में जी रही थी जब लड़कियों को लड़कों के बराबर नहीं समझा जाता था. 1920 का साल था और वो पायलट बनना चाहती थी लेकिन किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और सब चीज़ें उनके खिलाफ थी. फिर उनके पास एक मौका आया जब उन्हें फ्री में एक प्लेन को चलाने का ऑफर मिला और उन्हें बताया गया कि उनके साथ 2 लड़के भी होंगे जो सब चीज़ों का ध्यान रखेंगे. क्योंकि अमेलिया एक लड़की थी तो उन्हें उन पर विश्वास नहीं था, उन्हें लगा कि उनमें इतना टैलेंट तो है नहीं और कहीं वो किसी गलती की वजह से मर ना जाये.
किसी भी इंसान को ये ऑफर सुन कर बहुत अपमान महसूस होता मगर अमेलिया अलग थी. वो अपने गोल को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी और इसलिए उसने हाँ कह दिया.उनको सिर्फ इस बात से मतलब था कि कहीं से तो शुरुआत होनी चाहिए इसलिए कदम बढ़ा कर वो अपने गोल की तरफ चली गई. वो हिचकिचाई नहीं, वो डरी नहीं.पांच साल के बाद, अमेलिया पहली लड़की बनी जिसने अकेले अटलांटिक ओसियन पर उड़ान भरी. वो इस दुनिया में इज्ज़त हासिल करने वाले गिने चुने लोगों में से एक थी.
प्रैक्टिस पर्सिस्टेंस (Practice Persistence)
कभी कभी रुकावटें आसानी से गुज़र जाती हैं. कभी कभी बहुत मुश्किल होती है, आपको लम्बे समय तक उसका सामना करना पड़ता है. उस समय आप बहुत थका हुआ, कमज़ोर महसूस करते हैं, ऐसा लगता है कि सारे रास्ते बंद हो गए हैं. आप या तो उसे छोड़ देते हैं या हार मान लेते हैं.बस यहीं आपके सफल होने का मौका ख़त्म हो जाता है. अगर किसी समस्या के हल होने में लम्बा समय लगे तो आपको शांत होकर लगातार कोशिश करने की ज़रुरत है. जो लोग डट कर खड़े रहते हैं सिर्फ वो इससे सफल हो कर बाहर आ सकते हैं. आपको जीत एकदम से एकबार में नहीं मिल सकती, ये आपके द्वारा लिए गए किसी लकी स्टेप की बात नहीं है. आपको पूरी ताकत और समझदारी से अपनी प्रॉब्लम का सामना करना होगा. जब आप किसी चीज़ का सामना करते हैं तो उसे बीच में छोड़ देना उसका हल नहीं है.
कोई बात नहीं अगर आप थक गए हैं या आपको कोई रास्ता नहीं दिख रहा है, बसलगे रहो उसे छोडो मत. नयी सोच के साथ नए तरीकों को ढूंढो, कुछ ऐसा जैसा आज तक किसी ने नहीं किया हो. आप में ये पॉवर है लेकिन इसका असर सिर्फ तब होगा जब आप लगातार ध्यान लगा कर इस पर काम करते रहेंगे.
एक लड़ाई के दौरान, जेनरल ग्रांट विक्सबर्ग शहर की रक्षा करने वाले डिफेंस सिस्टम को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे मगर एक साल के बाद भी वो अन्दर नहीं जा पाए. उन्होंने शहर को आगे से, चारोंतरफ से अटैक करने की कोशिश की. उन्होंने बोट के ज़रिये भी कोशिश की लेकिन वो हर बार फेल हो गए.
प्रेसिडेंट लिंकन इंतज़ार करते करते थक गएथे इसलिए उन्होंने एक नए जेनरल को भेजा. ग्रांट ने हार मानने से मना कर दिया. उनका मानना था कि इस सिस्टम की कोई न कोई कमजोरी ज़रूर होगी और सिर्फ वो उसका पता लगा सकते हैं. तो ग्रांट ने अलग तरीका अपनाने का मन बनाया. वो अपने कुछ आदमियों के साथ बोट लेकर दूसरे रास्ते से नदी पार करना चाहते थे. ये रास्ता बहुत खतरनाक था, उन्हें अपना सब सामान पीछे छोड़ना पडा.
इस दिशा में एक बार जाने के बाद वो पीछे नहीं आ सकते थे. ग्रांट जीतने के लिए ये रिस्क लेने को तैयार थे. नदी पार करने के बाद वो एक के बाद एक शहर को हराते जा रहे थे और अंत में वो विक्सबर्ग पहुंचे. वो वहां भी जीत कर लौटे. इस एक्सपीरियंस से ग्रांट ने दो बातें सीखीं. पहला, कि लगातार अपने काम में लगे रहना एक महान लीडर की निशानी है. दूसरा,अगर आपने सारे पुराने उपाय इस्तेमाल करके देख लिया तो आपको कुछ अलग हट के सोचना होगा जिससे नया रास्ता निकल सके.
अगर आप अपनी मुश्किलों से बाहर आना चाहते हैं तो एक लम्बी लड़ाई के लिए आपको तैयार रहना चाहिए. आप थकान और हारा हुआ महसूस करेंगे लेकिन आपआगे बढ़ते रहिये, उसे छोडिये मत. अगर आपने ऐसा कर लिया, तो दूसरी तरफ जीत आपका इंतज़ार कर रही होगी.
द डिसिप्लिन ऑफ़ द विल(The Discipline of the Will) कभी कभी लाइफ आपको ऐसी सिचुएशन में डाल देगी जिसमे से निकलना इम्पॉसिबल लगेगा. आपको लगेगा कि आप जिसका सामना कर रहे हैं उसे हल करने के लिए एक से ज्यादा इंसान की ज़रुरत है, लेकिन अगर आपका इरादा मज़बूत हो तो आप जीत कर बाहर आ सकते हैं. आपको ज़िन्दगी के लिए तैयार रहने की ज़रुरत है.अगर आप सच में कुछ पाना चाहते हैं तो उसे पाने के लिए आपको खराब से खराब समय का सामना करने के लिए तैयार होना होगा. इसे आपके अलावा और कोई नहीं कर सकता, ये सिर्फ आपको डीसाइड करना है. लम्बे समय तक टिके रहने के लिए पक्का इरादा करना होगा.
तो हमनें पिछले चैप्टर में जाना कि अगर हम अपने माइंड को डिसिप्लिन में रखते हैं तो हमारी सोच बनती है, अगर अपनी बॉडी को डिसिप्लिन में रखते हैं तो हम कोई ना कोई एक्शन ले पाते हैं और अगर अपने दिल को डिसिप्लिन में रखते हैं तो हमारा विल पॉवर या खुद पर भरोसा बनता है.हमारा दिल हमारा सबसे बड़ा मोटिवेटर होता है इसलिए आपकी विल पॉवर आपकी सबके इम्पोर्टेन्ट क्वालिटी या खजाना है. अब्राहम लिंकन हिस्ट्री के एक बहुत महान इंसान रहे हैं.उनके बारे में जिस सच को बहुत से लोग अनदेखा कर देते हैं वो ये है कि वो अपनी पूरी ज़िन्दगी बहुत उदास रहे. उनकी बिमारी इतनी बढ़ गयी थी और उन्हें इतनी तकलीफ देती थी कि उन्होंने दो बार खुद की जान लेने की कोशिश की. वो जब बड़े भी हो रहे थे तो उन्होंने बहुत सी मुसीबतों का सामना किया. जब वो बहुत छोटे थे तब उनकी मदर की डेथ हो गयी थी.जिनसे उन्हें पहली बार प्यार हुआ वो भी मर चुकी थी. लिंकन ने बहुत गरीबी देखी थी और उसने उन्हें इतना मजबूर कर दिया था कि वो खुद को सब कुछ सिखाना चाहते थे. उन्होंने लॉ के बारे में बहुत कुछ सीखा. लिंकन ने एक पॉलिटिशियन के रूप में अपना रास्ता बनाना शुरू कर दिया था. पर उन्हें अपनाया नहीं गया और वो कई बार हारे. वो बहुत दुखी और उदास थे मगर उस समय डिप्रेशन जैसी बिमारी के बारे में कोई नहीं जानता था.इसकी कोई दवाई नहीं थी जो उन्हें आराम दे सके तो उन्होंने हँसी को अपना दर्द छुपाने की दवाई बना ली.
लिंकन ने अपने दर्द को सहना और उसके साथ जीना सीख लिया था. वो उसे एक मौके की तरह मानते थे जो उन्हें बहुत कुछ सिखा रहा था और उन्हें आने वाले एक अच्छे और बड़े फ्यूचर के लिए तैयार कर रहा था.उनके खुद के दर्द ने उन्हें दूसरे पॉलिटिशंस से बिलकुल अलग बना दिया था. दूसरे जब आगे निकलने की दौड़ में बिजी थे तो वो गरीबों और बेबस लोगों की चिंता और सेवा किया करते थे. क्योंकि ये सब उन के साथ भी हो चुका था इसलिए वो उनका दर्द समझते थे. जब दुनिया को एक स्पेशल और अनोखे लीडर की ज़रुरत पड़ी तो उनके एक्सपीरियंस ने लिंकन को इसके लिए बिलकुल तैयार कर दिया था. उनका विल पॉवर बहुत स्ट्रोंग हो गया था. खुद उदास और दुखी होते हुए भी वो अपने काम में पूरा ध्यान लगाया करते थे. वो समझ गए थे कि उनकी ज़िन्दगी का मकसद उनसे और उनकी तकलीफ से बहुत ऊँचा और बड़ा है.
लिंकन बहुत बहादुर थे. दुनिया को बचाने की एक स्ट्रोंग विल पॉवर के साथ उन्होंने हंसी मज़ाक और गंभीरता दोनों का इस्तेमाल करके एक अनोखे लीडर बने और देश को आगे बढ़ाया.
बिल्डयोर ओन सिटाडेल (Build Your Own Citadel)
अगर आप किसी कमी के साथ पैदा हुए हैं तो क्या आप इसे अपनाकर बस ज़िन्दगी जीने के लिए जियेंगे? या आप उस प्रॉब्लम का सामना करके, उस कमजोरी का सामना करके खुद को मज़बूत बनाएंगे ?सिर्फ इसलिए कि ज़िन्दगी ने हमारे सामने मुश्किलें खडी कर दी हैं इसका मतलब ये नहीं है कि हमें इसे अपनी बॉडी, माइंड या दिल के रूप में अपना लेना चाहिए. हमें इन कमियों का सामना करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.आपको खुद को अन्दर एक किला (फोर्ट) बनाना होगा.
हमें अपने मन में एक किला बनाना होगा और जीतने के लिए हमें उसे डेवलप करते रहना होगा. अच्छे समय में हमें खुद को और मज़बूत बनाना होगा ताकि हम बुरे समय के लिए तैयार हो सकें. ये हमारे मन का किला है जिसे हम जितना चाहे मज़बूत बना सकते हैं.
जब थिओडोर रूज़वेल्ट 12 साल के थे तो वो अस्थमा की बिमारी से लड़ रहे थे. इसके अटैक ज़्यादातर रात को होते थे जिसकी वजह से वोबहुत कमज़ोर और नाज़ुक होते जा रहे थे. सब सुख सुविधा वाले घर में जन्म लेने के बावजूद भी उनकी बिमारी ने उनके जीवन से खुशियाँ छीन ली थी.
एक दिन उनके फादर उनके पास एक अच्छी खबर लेकर आए. उन्होंने उनकी बॉडी को स्ट्रोंग बनाने का एक तरीका बताया. अब थिओडोर के लिए उनके घर में एक जिम (gym) था. हालांकि वो छोटे थे लेकिन वो मान गए और अपनी बॉडी को स्टेप बाय स्टेप स्ट्रोंग करने में लग गए.
वो हर रोज़ एक्सरसाइज करने लगे. इससे उनके मसल्स बनने लगे जो उनके कमज़ोर लंग्स को बचाने में मदद करेगा. समय के साथ, अपनी कड़ी मेहनत की वजह से थिओडोर बिलकुल ठीक हो गए.
इतनी कम उम्र में इस ट्रेनिंग ने उनकी बिमारी से लड़ने में बहुत मदद की. ज़िन्दगी ने उनके सामने एक के बाद एक मुश्किलें ला कर रख दी थी. उन्होंने अपनी वाइफ को खोया, अपने भाई को खोया, वो इलेक्शन भी हार गए और एक बार तो उनकी जान जाने वाली थी जिसमें वो बाल बाल बचे. इन सब के बाद भी वो कामयाब हुए. थिओडोर ने अपनी लाइफ के हर प्रॉब्लम का सामना बिलकुल वैसे ही किया जैसे उन्होंने अपने अस्थमा का किया था.अपने मन में जो उन्होंने हिम्मत का किला बनाया था वो इतना मज़बूत था कि उन्हें कुछभीहरानहीं पाया और वो हर बार जीत कर ही बार आये.
ऐंटिसिपेशन : थिंकिंग नेगेटिवली (Anticipation: Thinking Negatively)
दुनिया में हमेशा हमारे सामने ऐसे सिचुएशन आते रहेंगे जिस पर हमारा कोई कण्ट्रोल नहीं होगा, दुनिया ऐसे ही चलती है. लोग आपसे वादा भी करेंगे जो वो कभी पूरा नहीं करेंगे. कुछ भी कभी भी साफ़ या एकदम सीधी लाइन में नहीं चलेगा. आपको हमेशा सबसे बुरी सिचुएशन के लिए खुद को तैयार रखना होगा. इसका मतलब ये नहीं है कि आप नेगेटिव हो जाएँ और सोचने लगें कि आपतो बस हारने वाले हैं. किसी मुश्किल का सामना करने के लिए पहले से तैयार रहना सफलता पाने की एक सबसे ज़रूरी स्ट्रेटेजी है. मेडिसिन की दुनिया में, डॉक्टरकोकभी कभी ऐसा लग सकता है कि इन कारणों की वजह से किसी पेशेंट की डेथ हो सकती है मतलब डेथ के पहले ही वो उन कारणों को ढूंढ कर उस पर काम करने की कोशिश करते हैं. इसेप्री मोर्टम (pre mortem) कहा जाता है.पहले ये सिर्फ एक मेडिकल टर्म हुआ करता था पर अब ये बिज़नेस की दुनिया में भी यूज़ किया जाने लगा है. इसमें एक प्रोजेक्ट को हैंडल करने वाली टीम पहले से मान लेती है कि ये प्रोजेक्ट फेल होने वाला है और फिर पीछे से चेक करने लगती है कि किन वजहों से ऐसा हो सकता है, फिर उस पर काम शुरू कर देती है ताकि प्रोजेक्ट सफल हो जाए. एक बार जब उन्हें कारण पता चल जाता है तो मीटिंग में उसे हल करने के उपाय खोजे जाते हैं.
आप हमेशा सफलता की उम्मीद कीजिये लेकिन फेलियर के लिए भी तैयार रहिये. किसी भी लड़ाई में जाने से पहले आपके पास एक दूसरा या बैकअप प्लान ज़रूर होना चाहिए ताकि एक काम ना करे तो दूसरा आपकी मदद कर सके.बाद में पछताने से ज्यादा अच्छा होता है खुद को पहले से तैयार रखना.
एक बार एक सीइओ ने अपनी टीम को लंच पे मीटिंग करने के लिए बुलाया. वो एक नया प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी कर रहे थे और बहुत मेहनत कर रहे थे की वो प्रोजेक्ट पूरी तरह से सफल हो जाए.
उनकी पहली मीटिंग में सब लोग टेबल के पास खड़े थे, सीइओ ने कहा कि प्रोजेक्ट फेल हो गया है तो इसे ठीक करने के लिए हमें क्या करना चाहिए. सब लोग चौंक गए क्योंकि कोई भी प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही फेल कैसे हो सकता है. ये सीइओ बहुत स्मार्ट और बुद्धिमान थी. वो अपनी टीम को पहले से ही रुकावटों के लिए तैयार कर रही थी. आपको भी बिलकुल ऐसे ही सोचना चाहिए.
कन्क्लूज़न (Conclusion)
आप चाहें या ना चाहें ,ज़िन्दगी के हर मोड़ पर आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. आप कैसे इन सीटुएशन्सकी तरफ रियेक्ट करते हैं बस वही आपका फ्यूचर डिसाइड करेगा. आप या तो जीत सकते हैं या हार सकते हैं, ये चॉइस सिर्फ आपकी है.इस बुक में हमनें सीखा कि हमारे पास ऐसीतीन पॉवर है जिसका इस्तेमाल करके हम एक बुरी सिचुएशन को भी एक सुनहरे मौके में बदल सकते हैं. वो है किसी चीज़ की तरफ हमारी सोच, किसी चीज़ की तरफ अगला कदम उठाना यानी चुप नहीं बैठना और तीसरा है हमारे अन्दर की हिम्मत या विल पॉवर.
हम हमारी सोच की पॉवर का इस्तेमाल कर सकते हैं. हम जिस नज़रिए से दुनिया को देखते हैं या चीज़ों को समझतें हैं वो एक बहुत ज़रूरी गुण है. जब हमारे पास कण्ट्रोल करने की पॉवर होती है तो हम बहुत ताकतवर महसूस करते हैं. मुश्किल समय का सामना करते करते कभी कभी हम थक कर हार मान लेते हैं. अगर हमनें इसे कण्ट्रोल करना सीख लिया तो हम किसी भी सिचुएशन को अपने फायदे की तरफ मोड़ सकते हैं. इस बुक में हमनें कोई ना कोई कदम उठाने की ताकत के बारे में भी सीखा. अपने प्रॉब्लम को दूर करने के लिए हमें अपनेडरसे आगे निकल कर कुछ ना कुछ तो करना ही होगा, ख़ास तौर पर,घबराकर कोई फैसला ना करना औरसोच समझ कर अगला कदम लेना,ज्यादा ज़रूरी है.
हमनें अपने अन्दर स्ट्रोंग विल पॉवर की ताकत के बारे में भी सीखा. अगर हम अपने अन्दर इच्छा की शक्ति को इतना मज़बूत कर लें तोवो हमारी सबसे बड़ी ताकत बन सकती है. पहले से ही बुरे समय के लिए तैयार रहना भी बहुत मदद करता है. अगर आप अभी बहुत सक्सेसफुल या खुश हैं तो भी आपको अपनी ताकत को इतना बढ़ा देना चाहिए कि अगर अचानक कुछ बुरा हो तो आप उसके लिए बिलकुल तैयार होंगे.
तो दुनिया को अपनी भावनाओं के बेसिस पर नहीं बल्कि फैक्ट्स हो देखकर और समझ कर फैसला लेने का नजरिया अपनाओ, अपने गोल को पाने के लिए बुद्धिमानी से कदम उठाओ और लगातार इसमें लगे रहो, इसे बीच में छोडो मत. और सबसे ज़रूरी बात, बुरे समय और सिचुएशन के लिए खुद को तैयार करो. अगर आप जीते तो वो आपको बहुत ख़ुशी देगा, अगर आप हारे तो वो आपको सीख देगा.हार भी आपको आगे की जीत के लिए तैयार करता है.
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